कक्षा दसवीं गणित - प्रश्नावली 1.4
मध्यप्रदेश बोर्ड
अपरिमेय संख्याओं का गहन अन्वेषण
प्रश्नावली 1.4 में अपरिमेय संख्याओं के बारे में महत्वपूर्ण अवधारणाओं और उनके गुणों को समझने पर जोर दिया गया है. ये संख्याएं हमारी संख्या प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और इनके साथ काम करने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना ज़रूरी है.
अपरिमेय संख्याओं की गहरी समझ:
परिमेय संख्या: वे संख्याएँ जिन्हें p/q के रूप में लिखा जा सकता है, जहां p और q पूर्णांक हैं और q ≠ 0. इन संख्याओं का दशमलव प्रसार सांत (जैसे, 1/2 = 0.5) या आवर्ती (जैसे, 1/3 = 0.333...) होता है.
अपरिमेय संख्या: वे संख्याएँ जिन्हें p/q के रूप में नहीं लिखा जा सकता है, जहां p और q पूर्णांक हैं और q ≠ 0. इन संख्याओं का दशमलव प्रसार अनंत और अनावर्ती होता है, जैसे √2, √3, √5, π, e.
- √2, √3, √5: ये संख्याएं उन पूर्णांकों के वर्गमूल हैं जो पूर्ण वर्ग नहीं हैं.
- π: यह वृत्त की परिधि और व्यास का अनुपात है, जिसका मान लगभग 3.14159 है. यह गणित में बहुत महत्वपूर्ण नियतांक है.
- e: यह एक गणितीय नियतांक है जिसका मान लगभग 2.71828 है. यह घातीय फलन के लिए एक महत्वपूर्ण संख्या है.
अपरिमेय संख्याओं को सिद्ध करने की विधियाँ:
विरोधाभास द्वारा प्रमाण (Proof by contradiction): यह सबसे आम और शक्तिशाली विधि है जिसका उपयोग प्रश्नावली 1.4 में किया जाता है। इस विधि में, हम मानते हैं कि संख्या परिमेय है, और फिर कुछ चरणों में एक ऐसी स्थिति में पहुँचते हैं जो हमारी प्रारंभिक मान्यता के विपरीत है। यह विरोधाभास दर्शाता है कि हमारी प्रारंभिक मान्यता गलत थी, और संख्या वास्तव में अपरिमेय है।
प्रश्नावली 1.4 के कुछ अतिरिक्त प्रश्नों का विश्लेषण:
प्रश्न 1: सिद्ध कीजिए कि 2√3 एक अपरिमेय संख्या है।
हल:
- मान्यता: मान लीजिए कि 2√3 एक परिमेय संख्या है.
- परिमेय संख्या की परिभाषा: इसका मतलब है कि 2√3 को p/q के रूप में लिखा जा सकता है, जहाँ p और q पूर्णांक हैं, q ≠ 0, और p तथा q सह-अभाज्य हैं।
- सरलीकरण: √3 = p/(2q)
- विरोधाभास: चूँकि p और q पूर्णांक हैं और 2 भी पूर्णांक है, तो p/(2q) एक परिमेय संख्या है। लेकिन √3 एक अपरिमेय संख्या है। यह एक विरोधाभास है।
- निष्कर्ष: इसलिए, हमारी प्रारंभिक मान्यता गलत है, और 2√3 एक अपरिमेय संख्या है।
प्रश्न 2: सिद्ध कीजिए कि √5 + √3 एक अपरिमेय संख्या है।
हल:
- मान्यता: मान लीजिए कि √5 + √3 एक परिमेय संख्या है.
- परिमेय संख्या की परिभाषा: इसका मतलब है कि √5 + √3 को p/q के रूप में लिखा जा सकता है, जहाँ p और q पूर्णांक हैं, q ≠ 0, और p तथा q सह-अभाज्य हैं।
- सरलीकरण: √5 = p/q - √3
- दोनों पक्षों का वर्ग: 5 = (p/q)² - 2(p/q)√3 + 3
- सरलीकरण: 2(p/q)√3 = (p/q)² - 2
- सरलीकरण: √3 = [(p/q)² - 2] / [2(p/q)]
- विरोधाभास: चूँकि p और q पूर्णांक हैं, तो [(p/q)² - 2] / [2(p/q)] एक परिमेय संख्या है। लेकिन √3 अपरिमेय है। यह एक विरोधाभास है।
- निष्कर्ष: इसलिए, हमारी प्रारंभिक मान्यता गलत है, और √5 + √3 एक अपरिमेय संख्या है।
प्रश्न 3: यदि a और b अपरिमेय संख्याएं हैं, तो क्या a * b हमेशा अपरिमेय होगा?
हल:
नहीं, हमेशा नहीं। उदाहरण के लिए, यदि a = √2 और b = √2, तो a * b = 2 जो कि परिमेय है.
प्रश्न 4: सिद्ध कीजिए कि √7 एक अपरिमेय संख्या है।
हल:
- मान्यता: मान लीजिए कि √7 एक परिमेय संख्या है.
- परिमेय संख्या की परिभाषा: इसका मतलब है कि √7 को p/q के रूप में लिखा जा सकता है, जहाँ p और q पूर्णांक हैं, q ≠ 0, और p तथा q सह-अभाज्य हैं।
- सरलीकरण: √7 = p/q
- दोनों पक्षों का वर्ग: 7 = p²/q²
- सरलीकरण: p² = 7q²
- विरोधाभास: चूँकि 7q² एक पूर्ण वर्ग है, इसलिए p² भी एक पूर्ण वर्ग होना चाहिए। यह दर्शाता है कि p, 7 से विभाज्य है। इसलिए, हम p को 7k के रूप में लिख सकते हैं, जहाँ k एक पूर्णांक है।
- सरलीकरण: (7k)² = 7q²
- सरलीकरण: 49k² = 7q²
- सरलीकरण: q² = 7k²
- विरोधाभास: चूँकि 7k² एक पूर्ण वर्ग है, इसलिए q² भी एक पूर्ण वर्ग होना चाहिए। यह दर्शाता है कि q, 7 से विभाज्य है।
- विरोधाभास: अब हमारे पास यह है कि p और q दोनों ही 7 से विभाज्य हैं। लेकिन यह हमारी प्रारंभिक मान्यता के विपरीत है कि p और q सह-अभाज्य हैं। यह एक विरोधाभास है।
- निष्कर्ष: इसलिए, हमारी मान्यता गलत है, और √7 एक अपरिमेय संख्या है।
प्रश्न 5: सिद्ध कीजिए कि 5/√3 एक अपरिमेय संख्या है।
हल:
- मान्यता: मान लीजिए कि 5/√3 एक परिमेय संख्या है.
- परिमेय संख्या की परिभाषा: इसका मतलब है कि 5/√3 को p/q के रूप में लिखा जा सकता है, जहाँ p और q पूर्णांक हैं, q ≠ 0, और p तथा q सह-अभाज्य हैं।
- सरलीकरण: √3 = 5q/p
- विरोधाभास: चूँकि p और q पूर्णांक हैं और 5 भी पूर्णांक है, तो 5q/p एक परिमेय संख्या है। लेकिन √3 एक अपरिमेय संख्या है। यह एक विरोधाभास है।
- निष्कर्ष: इसलिए, हमारी प्रारंभिक मान्यता गलत है, और 5/√3 एक अपरिमेय संख्या है।
अपरिमेय संख्याओं का गणित में उपयोग:
अपरिमेय संख्याओं का उपयोग:
- ज्यामिति: त्रिकोणों, वर्गों, वृत्तों, और अन्य आकृतियों के क्षेत्रफल और परिमाप की गणना में अपरिमेय संख्याएँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. उदाहरण के लिए, वृत्त का परिमाप (परिधि) 2πr होता है, जहाँ π एक अपरिमेय संख्या है.
- त्रिकोणमिति: त्रिकोणमितीय अनुपातों (जैसे, sin, cos, tan) की गणना में अपरिमेय संख्याएँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं.
- विश्लेषण: गणित के विश्लेषण के क्षेत्र में अपरिमेय संख्याओं का व्यापक उपयोग होता है, जैसे कलन (calculus) और विभिन्न फलनों का अध्ययन करते समय.
प्रश्नावली 1.4 के लिए अतिरिक्त महत्वपूर्ण बिंदु:
- अभ्यास:** इस प्रश्नावली में दिए गए प्रश्नों को हल करने के लिए, विरोधाभास द्वारा प्रमाण विधि को समझना और उसे प्रयोग करना आवश्यक है.
- गणितीय गुणों का प्रयोग:** अपरिमेय संख्याओं के साथ काम करते समय, उनके गुणों और व्यवहार को समझना आवश्यक है.
- संदर्भ:** अगर आपको किसी प्रश्न को समझने में दिक्कत हो रही है, तो अपने शिक्षक से मदद लेने में संकोच नहीं करें. अतिरिक्त संसाधनों (जैसे, NCERT पुस्तक, ऑनलाइन वीडियो लेक्चर) का भी उपयोग करें.
निष्कर्ष:
अपरिमेय संख्याओं का अध्ययन गणित के लिए महत्वपूर्ण है. यह प्रश्नावली आपको अपरिमेय संख्याओं के गुणों को समझने में मदद करेगी, और आपको उनके साथ काम करने के लिए आवश्यक कौशल विकसित करने में सहायक होगी.
कक्षा दसवीं गणित - प्रश्नावली 1.4 (हल)
कक्षा दसवीं गणित - प्रश्नावली 1.4 (हल)
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प्रश्नावली 1.4 के कुछ प्रश्नों के हल:
प्रश्न 1: सिद्ध कीजिए कि 5√2 एक अपरिमेय संख्या है।
हल:
- मान्यता: मान लीजिए कि 5√2 एक परिमेय संख्या है।
- परिमेय संख्या की परिभाषा: इसका मतलब है कि इसे p/q के रूप में लिखा जा सकता है, जहाँ p और q पूर्णांक हैं, q ≠ 0, और p और q सह-अभाज्य हैं (अर्थात उनका महत्तम समापवर्तक 1 है)।
- समीकरण: 5√2 = p/q
- सरलीकरण: √2 = p/(5q)
- विरोधाभास: चूँकि p और q पूर्णांक हैं और 5 भी पूर्णांक है, इसलिए p/(5q) एक परिमेय संख्या है। लेकिन हम जानते हैं कि √2 एक अपरिमेय संख्या है। यह एक विरोधाभास है।
- निष्कर्ष: इसलिए, हमारी प्रारंभिक मान्यता गलत है, और 5√2 एक अपरिमेय संख्या है।
प्रश्न 2: सिद्ध कीजिए कि 3√2 + 2√3 एक अपरिमेय संख्या है।
हल:
- मान्यता: मान लीजिए कि 3√2 + 2√3 एक परिमेय संख्या है।
- परिमेय संख्या की परिभाषा: इसे p/q के रूप में लिखा जा सकता है, जहाँ p और q पूर्णांक हैं, q ≠ 0, और p और q सह-अभाज्य हैं।
- समीकरण: 3√2 + 2√3 = p/q
- सरलीकरण: 2√3 = p/q - 3√2
- दोनों पक्षों का वर्ग: 12 = (p/q)² - 6(p/q)√2 + 18
- सरलीकरण: 6(p/q)√2 = (p/q)² + 6
- सरलीकरण: √2 = [(p/q)² + 6] / [6(p/q)]
- विरोधाभास: चूँकि p और q पूर्णांक हैं, इसलिए [(p/q)² + 6] / [6(p/q)] एक परिमेय संख्या है। लेकिन √2 अपरिमेय है। यह एक विरोधाभास है।
- निष्कर्ष: इसलिए, हमारी मान्यता गलत है, और 3√2 + 2√3 एक अपरिमेय संख्या है।
प्रश्न 3: सिद्ध कीजिए कि √5 एक अपरिमेय संख्या है।
हल:
- मान्यता: मान लीजिए कि √5 एक परिमेय संख्या है।
- परिमेय संख्या की परिभाषा: इसे p/q के रूप में लिखा जा सकता है, जहाँ p और q पूर्णांक हैं, q ≠ 0, और p और q सह-अभाज्य हैं।
- समीकरण: √5 = p/q
- दोनों पक्षों का वर्ग: 5 = p²/q²
- सरलीकरण: p² = 5q²
- विरोधाभास: चूँकि 5q² एक पूर्ण वर्ग है, इसलिए p² भी एक पूर्ण वर्ग होना चाहिए। यह दर्शाता है कि p, 5 से विभाज्य है। इसलिए, हम p को 5k के रूप में लिख सकते हैं, जहाँ k एक पूर्णांक है।
- सरलीकरण: (5k)² = 5q²
- सरलीकरण: 25k² = 5q²
- सरलीकरण: q² = 5k²
- विरोधाभास: चूँकि 5k² एक पूर्ण वर्ग है, इसलिए q² भी एक पूर्ण वर्ग होना चाहिए। यह दर्शाता है कि q, 5 से विभाज्य है।
- विरोधाभास: अब हमारे पास यह है कि p और q दोनों ही 5 से विभाज्य हैं। लेकिन यह हमारी प्रारंभिक मान्यता के विपरीत है कि p और q सह-अभाज्य हैं। यह एक विरोधाभास है।
- निष्कर्ष: इसलिए, हमारी मान्यता गलत है, और √5 एक अपरिमेय संख्या है।
प्रश्न 4: यदि a और b अपरिमेय संख्याएं हैं, तो क्या a + b हमेशा अपरिमेय होगा?
हल:
यह हमेशा सच नहीं है। उदाहरण के लिए, यदि a = √2 और b = -√2, तो a + b = 0, जो कि एक परिमेय संख्या है.
प्रश्न 5: यदि a और b अपरिमेय संख्याएं हैं, तो क्या a/b हमेशा अपरिमेय होगा?
हल:
यह हमेशा सच नहीं है। उदाहरण के लिए, यदि a = √2 और b = √2, तो a/b = 1, जो कि एक परिमेय संख्या है.
यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि अपरिमेय संख्याओं का व्यवहार अप्रत्याशित हो सकता है जब उन्हें जोड़ा, घटाया, गुणा किया या विभाजित किया जाता है. कुछ मामलों में परिणाम परिमेय हो सकता है और कुछ मामलों में अपरिमेय.
कक्षा दसवीं गणित - प्रश्नावली 1.4 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
कक्षा दसवीं गणित - प्रश्नावली 1.4 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
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निर्देश: निम्नलिखित प्रश्नों के लिए सही विकल्प का चयन करें।
-
1. निम्नलिखित में से कौन सी संख्या परिमेय है?
उत्तर: c) √4
-
2. निम्नलिखित में से कौन सी संख्या अपरिमेय है?
उत्तर: c) √7
-
3. 2√3 + 3√2 क्या है?
उत्तर: b) अपरिमेय संख्या
-
4. √2 × √8 का मान क्या है?
उत्तर: b) 4
-
5. √2 + √3 के बारे में क्या कहा जा सकता है?
उत्तर: b) यह एक अपरिमेय संख्या है।
-
6. 1/√2 का दशमलव रूप कैसा होता है?
उत्तर: c) अनंत, गैर-दोहराव वाला दशमलव
-
7. निम्नलिखित में से कौन सी संख्या परिमेय है?
उत्तर: c) 22/7
-
8. यदि a और b परिमेय संख्याएँ हैं, तो a + b क्या है?
उत्तर: a) हमेशा परिमेय
-
9. यदि a और b अपरिमेय संख्याएँ हैं, तो a - b क्या है?
उत्तर: c) कभी-कभी परिमेय, कभी-कभी अपरिमेय
-
10. यदि a एक परिमेय संख्या है और b एक अपरिमेय संख्या है, तो a × b क्या है?
उत्तर: b) हमेशा अपरिमेय
-
11. √2 + √8 क्या है?
उत्तर: b) 3√2
-
12. √3 × √12 क्या है?
उत्तर: b) 6
-
13. 3√5 - √5 क्या है?
उत्तर: a) 2√5
-
14. निम्नलिखित में से कौन सा √5 के दशमलव रूप का वर्णन करता है?
उत्तर: c) अनंत, गैर-दोहराव वाला दशमलव
-
15. √49 क्या है?
उत्तर: a) परिमेय संख्या
-
16. √16 क्या है?
उत्तर: a) 4
-
17. √2 और √3 के योग का दशमलव रूप कैसा होगा?
उत्तर: c) अनंत, गैर-दोहराव वाला
-
18. √2 को p/q के रूप में कैसे लिखा जा सकता है जहाँ p और q पूर्णांक हैं?
उत्तर: b) यह संभव नहीं है
-
19. √2 और √3 का गुणनफल क्या है?
उत्तर: a) √6
-
20. √2 और √8 का भागफल क्या है?
उत्तर: b) √2
-
21. यदि a एक परिमेय संख्या है और b एक अपरिमेय संख्या है तो a/b क्या है?
उत्तर: b) हमेशा अपरिमेय
-
22. √7 को दशमलव रूप में लिखने पर क्या होगा?
उत्तर: c) अनंत, गैर-दोहराव वाला दशमलव
-
23. √16 का मूल्य क्या है?
उत्तर: a) 4
-
24. √4 और √9 के योग का मूल्य क्या है?
उत्तर: a) 5
-
25. √9 + √16 के बराबर क्या है?
उत्तर: c) 7
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